
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (फाइल फोटो)
पाकिस्तान का दशकों पुराना ‘स्ट्रेटेजिक डिप्थ’ का सपना अब उसी के लिए एक दर्दनाक हकीकत बन गया है. जो देश कभी अफगान जिहाद को समर्थन देकर अपने हित साध रहा था, आज उसी नीति के नतीजे भुगत रहा है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे संगठन आज पाकिस्तान की फौज और सरकार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन चुके हैं.
इन संगठनों के पास ऐसे आधुनिक हथियार हैं जो पाकिस्तान की सेना को भी टक्कर दे रहे हैं. हालांकि दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई हथियार पाकिस्तान की ही नीतियों की देन हैं. और उससे भी बड़ी बात यह है कि इनके पास कुछ ऐसे एडवांस हथियार हैं जो आज पाकिस्तान की सेना के पास भी नहीं.
अमेरिकी हथियारों ने बढ़ाई मुसीबत
अगस्त 2021 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी की, तो उसने करीब 7 बिलियन डॉलर से अधिक के सैन्य साजो-सामान वहीं छोड़ दिए. इनमें 3 लाख से ज्यादा छोटे हथियार, हजारों भारी हथियार, M4 कार्बाइन, M16 रायफल, नाइट विजन डिवाइसेस, सैटेलाइट कम्युनिकेशन सेट्स, और गोला-बारूद शामिल थे. इन हथियारों पर सबसे पहले तालिबान का कब्जा हुआ और फिर इनकी खुली बिक्री शुरू हुई.
TTP और BLA जैसे संगठनों ने इन हथियारों को न केवल खरीदा बल्कि उनसे अपने सैन्य ढांचे को मजबूत कर लिया. आज यही हथियार पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल हो रहे हैं, और फौज उन इलाकों में खुद को कमजोर महसूस कर रही है जहां वह पहले ताकतवर समझी जाती थी.
UN में छलके पाकिस्तान के आंसू
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की Arria-Formula बैठक में पाकिस्तान मिशन के काउंसलर सैयद आतिफ रजा ने दुनिया के सामने अपनी पीड़ा रखी. उन्होंने कहा कि ‘अफगानिस्तान से TTP और BLA जैसे संगठनों को मिल रहे छोटे और हल्के हथियार पाकिस्तान के लिए खतरा बन चुके हैं.’
उन्होंने यह भी दावा किया कि ये हथियार आम नागरिकों और फौज दोनों पर इस्तेमाल हो रहे हैं. पाकिस्तान ने UN में इन हथियारों के कड़े प्रबंधन की अपील की. लेकिन सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान की यह चिंता वाकई ईमानदार है या फिर यह सिर्फ अपनी नाकामियों को छिपाने का तरीका?
इन्हीं हथियारों से जला कश्मीर
जिस पाकिस्तान को आज हथियारों के ‘मिसयूज’ की चिंता सता रही है, उसी ने इन हथियारों को भारत के जम्मू-कश्मीर में आग लगाने के लिए प्रयोग किया. 2022 से भारतीय सुरक्षाबलों ने कश्मीर में कई ऑपरेशनों के दौरान अमेरिकी हथियार बरामद किए हैं, जिनमें M4 कार्बाइन, नाइट विजन डिवाइसेस, और कम्युनिकेशन डिवाइस शामिल हैं. जांच में साफ हुआ कि ये हथियार अफगानिस्तान से होकर पाकिस्तान की ISI और फौज के जरिए आतंकियों तक पहुंचाए गए थे.
TTP-BLA की हमलावर रणनीति
TTP और BLA अब केवल छिपकर हमले नहीं कर रहे, बल्कि खुलेआम पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमला बोल रहे हैं. बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, और FATA जैसे इलाकों में सेना की चौकियों पर घातक हमले हुए हैं. कई बार फौज को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है. उसका सबसे बड़ा कारण इन संगठनों के पास मौजूद अत्याधुनिक हथियार उनकी मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा चुके हैं.
अपनी ही आग में जल रहा पाक
जिस नीति के तहत पाकिस्तान ने चरमपंथियों को रणनीतिक मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया, वही आज उसके लिए नासूर बन चुके हैं. ISI की ‘गुड टेररिस्ट-बैड टेररिस्ट’ की थ्योरी अब पूरी तरह फेल हो चुकी है. TTP और BLA जैसे संगठन अब पाकिस्तान की नीति का आईना बन चुके हैं, जिन्हें न तो खरीदा जा सकता है, न ही दबाया.