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क्या है ऑपरेशन ब्रह्मा, म्यांमार की मदद के लिए भारत ने क्यों चुना ये नाम? विदेश मंत्रालय ने बताया

क्या है ऑपरेशन ब्रह्मा, म्यांमार की मदद के लिए भारत ने क्यों चुना ये नाम? विदेश मंत्रालय ने बताया

म्यांमार में रेस्क्यू ऑपरेशन

म्यांमार में आए भयानक भूकंप के बाद भारत ने पड़ोसी देश की मदद के लिए ऑपरेशन ब्रह्मा की शुरुआत की. इस भूकंप में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. देश में कई बड़ी-बड़ी इमारतें पूरी तरह से जमींदोज हो गईं. ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत, 29 मार्च को 15 टन राहत सामग्री लेकर एक विमान हिंडन एयरफोर्स बेस से सुबह करीब 3 बजे उड़ा.

यह सुबह करीब 8 बजे भारतीय समयानुसार यांगून पहुंचा. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने बताया कि म्यांमार में भारतीय राजदूत राहत सामग्री लेने के लिए मौजूद थे और उन्होंने इसे यांगून के मुख्यमंत्री को सौंप दिया.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पहले विमान के बाद रेस्क्यू कर्मियों और उपकरणों के साथ-साथ कुत्तों को लेकर कुछ विमान म्यांमार के लिए रवाना होंगे. भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा में वायुसेना के 2 सी17 ग्लोबमास्टर और 3 सी130 जे हरक्यूलिस को तैनात किया है. म्यांमार में भूकंप पीड़ितों को मेडिकल देखभाल देने के लिए फील्ड अस्पताल लेकर दो सी17 देर रात म्यांमार में उतरेंगे.

इसका नाम ऑपरेशन ब्रह्मा क्यों रखा गया?

भूकंप प्रभावित क्षेत्रो में राहत और बचाव को ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ दिया गया. आखिर भारत सरकार की तरफ से ये नाम क्यों दिया गया? इसके बारे में विदेश मंत्रालय ने कहा कि ब्रह्मा सृजन के देवता हैं, ऐसे समय में जब हम म्यांमार सरकार और म्यांमार के लोगों को तबाही के बाद अपने देश के पुनर्निर्माण के लिए मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं, तो ये सृजन में मदद करने के जैसा है.

ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत संघीय आपदा आकस्मिकता बल के कर्मियों को पड़ोसी देश को सहायता प्रदान करने के लिए मजबूत कंक्रीट कटर, ड्रिल मशीन, हथौड़े, प्लाज्मा कटिंग मशीन आदि जैसे भूकंप बचाव उपकरणों के साथ तैनात किया जा रहा है.

आने वाले कुछ घंटे हैं जरूरी

दिल्ली के पास गाजियाबाद में स्थित 8वीं एनडीआरएफ बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी शहरी खोज और बचाव (यूएसएआर) टीम का नेतृत्व कर रहे हैं.

एनडीआरएफ के उप महानिरीक्षक मोहसेन शाहेदी ने विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संवाददाताओं को बताया कि अगले 24-48 घंटे रेस्क्यू टीम के लिए बहुत जरूरी हैं ताकि, म्यांमार के लोग इसका फायदा उठा सकें. साथ ही भारतीयों की सक्रिय भागीदारी हो सके.

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