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किम जोंग ने बचा ली पुतिन की इज्जत, जंग के दौरान भेजे 6 मिलियन तोप-गोले

रूस यूक्रेन को जंग को तीन साल से ज्यादा का समय हो गया है. इस जंग के दौरान यूक्रेन को जहां नाटों और अमेरिका जैसे देशों से मदद मिली है, वहीं रूस भी अकेले यूक्रेन से नहीं लड़ा. कई खबरों के मुताबिक इस जंग उत्तर कोरिया, ईरान और चीन रूस का साथ दिया है. साथ देने वाले देशों में उत्तर कोरिया एक कदम आगे पहुंच गया है.

रूसी सैन्य दस्तावेजों और ओपन-सोर्स शोध का हवाला देते हुए रॉयटर्स ने मंगलवार को बताया कि रूसी तोपखाना यूनिट्स यूक्रेनी मोर्चे पर अपनी बमबारी को जारी रखने के लिए लगभग पूरी तरह से उत्तर कोरिया की ओर से दिए जा रहे गोला-बारूद पर निर्भर हैं. जिसका मतलब है कि रूस के पास अपने गोला-बारूद की कमी हो गई है.

उत्तर कोरिया से आए 6 मिलियन गोले

UK स्थित ओपन सोर्स सेंटर (OSC) की ओर से जांच किए सैटेलाइट डेटा के मुताबिक सितंबर 2023 और मार्च 2025 के बीच, चार रूसी-ध्वजांकित जहाजों ने उत्तर कोरिया से रूसी बंदरगाहों तक लगभग 16 हजार कंटेनरों को ले जाने के लिए 64 यात्राएं की. संगठन का अनुमान है कि शिपमेंट में 4 मिलियन से 6 मिलियन तोपखाने के गोले शामिल थे.

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यूक्रेनी और पश्चिमी अधिकारियों के मुताबिक माना जाता है कि रूस 2024 में घरेलू स्तर पर 2.3 मिलियन से ज्यादा तोपों का उत्पादन नहीं हुआ है. क्रेमलिन ने अक्टूबर 2023 में उत्तर कोरिया से हथियारों के हस्तांतरण से इनकार करते हुए दावा किया कि ऐसी गतिविधि का ‘कोई सबूत’ नहीं है.

हालांकि, रॉयटर्स द्वारा समीक्षा की गई कम से कम छह रूसी आर्टिलरी यूनिट रिपोर्ट में इस साल यूक्रेन में 50 फीसद से 100 फीसद उत्तर कोरियाई गोला-बारूद का इस्तेमाल किए जाने के सबूत मिले हैं. तीन अन्य यूनिट रिपोर्ट में उत्तर कोरियाई गोला-बारूद का कोई उल्लेख नहीं किया गया है.

उत्तर कोरिया न करता मदद तो पिछड़ जाता रूस

पोलैंड स्थित रोचन कंसल्टिंग के रक्षा विश्लेषक कोनराड मुजिका ने दावा किया है कि अगर उत्तर कोरिया की ओर से रूसी सेना की मदद नहीं की जाती, तो यूक्रेनी रक्षात्मक ठिकानों पर रूसी सेना की गोलाबारी आधी हो जाती.

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