
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है.
अरब में महायुद्ध के सायरन बज रहे हैं. यहां किसी भी वक्त अमेरिका और ईरान की जंग शुरू हो सकती है, जिसकी वजह है ईरान की परमाणु जिद. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने साफ कर दिया है, वो ट्रंप से परमाणु वार्ता नहीं करेंगे. सिर्फ इतना ही नहीं ईरान ने ट्रंप को धमकी दी है कि अगर US बॉम्बर तेहरान की तरफ आते नजर आए, तो IRGC कमांडर अमेरिकी मिलिट्री बेस राख में मिला देंगे.
31 मार्च… ईद का दिन… ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने देश को संबोधित किया. संबोधन ईद पर था, लेकिन मंच से खामेनेई ने साफ कर दिया कि अमेरिका आग से खेल रहा है और ईरान वॉशिंगटन को उसी के लहजे में जवाब देगा. उन्होंने कहा कि वो हम पर हमला करने की धमकी दे रहे हैं, जिसकी हमें संभावना नहीं लगती, लेकिन यदि अगर वो कोई शरारत करेंगे तो उन्हें निश्चित रूप से करारा जवाब मिलेगा.
तेहरान से निकली इस धमकी और इन नारों की गूंज से वॉशिंगटन तक में हड़कप है. डर है कि अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया, तो ईरान अमेरिकी को दहला सकता है और इसकी संभावनाएं खामेनेई के संबोधिन के बाद बेहद ज्यादा बढ़ गई हैं. दरअसल, इसकी वजह देश को संबोधित करने के दौरान ईरानी सुप्रीम लीडर के हाथों में मौजूद ये राइफल है, जो साल 1980 के दशक की है.
इससे पहले खामेनेई के हाथों में ये राइफल 1 अगस्त 2024 को नजर आई थी. तब खामेनेई ने हमास नेता इस्माइल हानिया की मौत पर देश को संबोधित किया था, जिसके बाद 1 अक्टूबर के दिन ईरान ने हानिया और नसरल्लाह की मौत का बदला इजरायल से लिया था. अब खामेनेई के पास ये राइफल अमेरिका की धमकियों के बीच एक बार फिर नजर आई है. ऐसे में माना जा रहा है कि ईरान बहुत जल्द अमेरिका के खिलाफ बारूदी एक्शन ले सकता है.
ईरान ट्रंप को दिखाना चाहता है पावर
एक तरफ खामेनेई के रिएक्शन से अमेरिका पर एक्शन का रास्ता साफ हो गया है, तो वहीं ईरानी कमांडर्स के रुख से ऐसे सिग्नल मिल रहे हैं कि ईरान अमेरिकी हमले का इंतजार नहीं करना चाहता. माना जा रहा है कि ईरान अमेरिकी एक्शन से पहले ही उसे बारूदी संदेश भेज सकता है. दरअसल, IRGC के कमांडर अमेरिकी एयरबेस पर प्री एम्प्टिव स्ट्राइक की मांग कर हैं. IRGC कमांडर चाहते हैं कि ईरान डिएगो ग्रॉसिया एयरबेस के पास मिसाइल दागे, लेकिन इस मिसाइल से बेस को नुकसान नहीं होगा बल्कि मिसाइल बेस के करीब समंदर में जाकर गिरेगी, अमेरिका के इस बेस की ईरान से दूरी 3846 किमी है. हाल ही में अमेरिका ने यहां 7 B-2 बॉम्बर तैनात किए थे.
दरअसल, अमेरिकी बेस के पास मिसाइल दागकर ईरान ट्रंप को अपनी क्षमता और शक्ति का परिचय देना चाहता है ताकि ट्रंप ईरान पर हमले के ख्याल को अपने जहन से निकाल दें. इधर, IRGC एयरफोर्स के कमांडर आमिर अली हाजीजादेह ने भी अमेरिका को धमकी दी है. उन्होंने अपने एक बयान में कहा है, जो शीशे के घर में रहते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते. अमेरिका के अरब में करीब 10 बेस हैं, 50 हजार से ज्यादा सैनिक मौजूद हैं. मतलब वो शीशे के घर में मौजूद हैं.
साफ है ईरान के रडार में अमेरिका के कई बेस हैं. अगर ट्रंप बारूदी कदम उठाते हैं तो ईरान इन्हें दहलाकर अपना प्रतिशोध पूरा करेगा. ईरान की तैयारी इसपर मोहर भी लगा रही हैं. दरअसल, चीन ने मिसाइलों से लदा कार्गो शिप ईरान भेजा था, जो ईरान के बांदर अब्बास पोर्ट पहुंच चुका है. दावा है कि इसमें चीन की लॉन्ग रेंज मिसाइलें मौजूद हैं. IRGC ने नेवातिम एयरबेस पर मिसाइल ड्रिल शुरू कर दी है. सैटेलाइट तस्वीरें से खुलासा हुआ है कि ईरान मिसाइलों की एक्यूरेसी टेस्ट कर रहा है.
ट्रंप के हर कदम के लिए ईरान खुद को कर रहा तैयार
ईरान की इन तैयारियों को अमेरिका से जोड़कर देखा जा रहा है. दावा है कि ईरान ट्रंप के हर संभावित कदम के लिए खुद को तैयार कर रहा है. इधर ईरान से आ रही खबरों के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ईरान को बारूदी धमकी भेजी है. ट्रंप ने अपने एक बयान में कहा है कि अगर ईरान डील नहीं करता तो बमबारी होगी और ऐसी बमबारी होगी, जो पहेल कभी नहीं देखी गई. दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ऐसे पहली बार है जब डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर स्पष्ट शब्दों पर बमबारी की बात की है. हालांकि ट्रंप और ईरान के बीच अरब के देश एक दीवार की तरह खड़े हैं.
हालही में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी, कुवैत और कतर ने ईरान को गुप्त आश्वासन दिया है. वो ईरान पर हमले के लिए अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं होने देंगे. रिपोर्ट में ये भी दावा है कि ट्रंप ईरान पर हमला करने वाले थे, लेकिन इन तीनों देशों से अमेरिका को ऐसा करने से रोक दिया. हालांकि ये देश ट्रंप को कबतक रोक पाएंगे ये कहना बेहद मुश्किल है. इधर, 2 हफ्ते बाद भी हूती पर अमेरिका की स्ट्राइक जारी है. अमेरिका ने एक बार फिर सना और अल हुदैदा पर एयरस्ट्राइक की.
हूती का दावा, अमेरिका का MQ-9 रीपर ड्रोन तबाह
दावा है कि अमेरिका की लेटेस्ट स्ट्राइक में 40 हूती लड़ाकों की मौत हो गई. वहीं, हूती के टॉप मिसाइल एक्सपर्ट अब्दुल खालिक बदरुद्दीन अल-हौथी के भी मारे जाने की खबर है. हूती ने भी अमेरिका पर जबरदस्त पलटवार किया है. हूती का दावा है कि उसके हमले में अमेरिका का MQ-9 रीपर ड्रोन तबाह हो गया. हूती प्रवक्ता याह्या सारी ने कहा कि हमारी सेना ने सफलतापूर्वक अमेरिका का MQ-9 ड्रोन मार गिराया है. वो हमें तबाह करने के मिशन पर था, लेकिन हमने उसे जहन्नुम पहुंचा दिया. ये दुश्मन का 16वां ड्रोन है, जिसे हमने तबाह किया है.
हूती भले इसे बड़ी कामयाबी बता रहा है, लेकिन ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अमेरिका के मौजूदा हमले अभी सिर्फ शुरुआत भर है. अगर लाल सागर में हूती के मिसाइल अटैक बंद नहीं हुए, तो पहले असली तबाही हूती देखेगा और उसके बाद हूती का प्राजोयक ईरान. ट्रंप के रुख से साफ है, वो किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु शक्ति हासिल करने देना नहीं चाहते, फिर चाहे इसके लिए उन्हें अरब में महायुद्ध ही क्यों ना छेड़ना पड़े.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष