
अमेरिका यूनिवर्सिटीज में प्रो-फिलिस्तीन प्रदर्शन लगातार हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों को करने वालों पर अमेरिकी पुलिस खास नजर रख रही है. ऐसे ही एक हिरासत में लिए गए छात्र महमूद खलील ने स्कूल के अखबार में प्रकाशित एक लेख में कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रशासन की तुलना नाजी सहयोगियों से की है.
न्यूयार्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक खलील ने ये लेख ICE जेल से लिखा है. लेख में, उन्होंने कोलंबिया पर अपहरण की नींव रखने रखने का आरोप लगाया और यह भी आरोप लगाया कि मॉर्निंगसाइड हाइट्स संस्थान ने यहूदी विरोधी भावना से लड़ने के चल रहे छात्र विरोध को दबाया है.
लेख में खलील ने क्या लिखा?
कोलंबिया डेली स्पेक्टेटर में पब्लिश हुए इस पत्र में खलील ने कहा, “यह स्थिति अजीब तरह से उस समय की याद दिलाती है जब मैं सीरिया में बशर अल-असद के शासन की क्रूरता से बचकर लेबनान में शरण लेने आया था.” उन्होंने विश्वविद्यालय के अध्यक्ष मिनोचे शफीक, पूर्व अंतरिम विश्वविद्यालय अध्यक्ष कैटरीना आर्मस्ट्रांग और स्कूल के डीन पर संघीय सरकार के साथ सहयोग करने के लिए साफ रूप से आलोचना की है.
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उन्होंने कहा, “8 मार्च को मेरे अपहरण के बाद से, फिलिस्तीन के लिए आवाज उठाने वाले अंतररार्ष्ट्रीय छात्रों को डराने-धमकाने और अपहरण करने की घटनाएं बढ़ गई हैं.” उन्होंने लेका कोर्डिया, डॉ. बदर खान सूरी और रूमेसा ओजतुर्क को अन्य राजनीतिक कैदियों की दलील देते हुए अपनी बात को रखा.
यहूदी छात्रों मे अभी भी डर
खलील ने कोलंबिया में प्रो-फिलिस्तीनी छात्रों के बारे में बोलते हुए कहा कि उनके विरोध प्रदर्शनों ने कोलंबिया के यहूदी छात्रों में जो डर पैदा किया है, वो अभी भी कायम है. उन्होंने यहूदी छात्रों के बारे में कहा कि यहूदी छात्र प्रदर्शनों को खराब करने के लिए उकसाने आते हैं, लेकिन हर बार निराश होकर जाते हैं.
मैं फिलिस्तीन में होते, तो क्या होता?
खलील ने प्रदर्शन करने वालों छात्रों को उकसाने वाले यहूदी छात्रों के बारे में कहा, “मैं यह सोचने से खुद को रोक नहीं पा रहा हूं कि यदि मैं फिलिस्तीन में होता, तो इनमें से कुछ छात्र मुझे चेक प्वाइंट पर रोकते, मेरे विश्वविद्यालय पर छापा मारते, मेरे समुदाय की निगरानी करने वाले ड्रोन उड़ाते या मेरे पड़ोसियों को उनके घरों में मार देते.”