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अमेरिका और ईरान में बनी बात, तो भारत को क्या फायदा होगा?

लंबी चली जुबानी जंग के बाद ईरान और अमेरिका के बीच ओमान में वार्ता शुरू हो चुकी है. इस वार्ता पर पूरी दुनिया नजरें टिकी हैं, अगर सबकुछ ठीक रहता है तो ये वार्ता मध्य पूर्व में शांति ला सकती है. साथ ही अमेरिका-ईरान के बीच संबंध बेहतर होना भारत के लिए भी अहमियत रखता है, क्योंकि भारत के दोनों ही देशों के साथ अच्छे कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध हैं.

वार्ता के सफल होने के बाद अमेरिका ईरान से प्रतिबंध हटायगा, जिसके बाद फिर से भारत को ईरान से सस्ता तेल आयात करने का रास्ता खुल जाएगी. वहीं भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट में बड़ा निवेश कर रखा है और प्रतिबंध हटने से इस पोर्ट से होने वाला व्यापार बढ़ेगा जिससे भारत को सीधा फायदा होगा. अगर ये बातचीत सफल नहीं होगी तो ये भारत के लिए मुश्किल होगा, क्योंकि भारत न्यूट्रल रहना चाहता है. जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप को साफ कह दिया है कि ईरान पर अगर कोई हमला होता है, तो रूस उसमें ईरान का साथ देगा. ऐसे में भारत को किसी एक पक्ष को चुनना दिक्कत की बात हो सकती है.”

क्यों हो रही अमेरिका ईरान की बातचीत?

7 अप्रैल को अमेरिका राष्ट्रपति ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बैठक के बादल ऐलान किया कि अमेरिका ईरान के साथ ‘प्रत्यक्ष वार्ता’ शुरू करने जा रहा है. ट्रंप ने इस वार्ता को ‘बहुत अहम’ बताया है. वहीं ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने वार्ता के बारे में कहा है कि ईरान अपने परमाणु प्रोग्राम को लेकर अमेरिका से बातचीत करने के लिए तैयार है, हालांकि उन्होंने इसके लिए कुछ शर्ते भी सामने रखी है.

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इस पूरी बातचीत की वजह ईरान का परमाणु प्रोग्राम है. अमेरिका ईरान परमाणु प्रोग्राम को सीमित करने के लिए डील करना चाहता है. ऐसी ही एक डील से ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में अमेरिका को अलग कर लिया था. ट्रंप का मानना था कि ये डील ईरान के हित में ज्यादा है और वह एक मजबूत डील करना चाहते हैं.

भारत को हो सकता है बड़ा फायदा

ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते बेहतर होना पूरे मध्य पूर्व के लिए फायदा के सोदा हैं. वहीं भारत को भी इससे जबरदस्त फायदा होगा. हर साल भारत से लाखों लोग रोजगार के लिए मध्य पूर्व जाते हैं और इसका एक बड़ा ईरान में भी नौकरी या बिजनेस कर रहा है, साथ ही ईरान शिया इस्लाम के लिए खास जगह है और हर साल भारत से हजारों शिया मुसलमान ईरान जाते हैं. इसमें भारत को अमेरिका या ईरान को चुनने की मुश्किल पेश आती है, वार्ता सफल होने के बाद भारत दोनों के साथ अपने हित आसानी से पूरे कर सकता है.

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