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अमेरिका-इजराइल नहीं, इस छोटे से देश की आर्मी ने हिजबुल्लाह को पीट दिया

अमेरिका-इजराइल नहीं, इस छोटे से देश की आर्मी ने हिजबुल्लाह को पीट दिया

बेंजामिन नेतन्याहू और डोनाल्ड ट्रंप.

मिडिल ईस्ट में हिजबुल्लाह के बढ़ते प्रभाव के बीच लेबनान की सेना ने एक बड़ा कदम उठाया है. लेबनानी सेना ने लितानी नदी के पास हिजबुल्लाह के ठिकानों पर कड़ी कार्रवाई की. लबनान ने ये सब अमेरिकी दबाव और नवंबर 2023 में हुए संघर्षविराम समझौते के तहत किया. माना जा रहा इस कार्रवाई से लेबनान के अंदरूनी हालात बदल सकते हैं. साथ ही यहां की राजनीति में भी बड़ा बदलाव आ सकता है.

स्थानीय चैनल अल जदीद की रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने लितानी नदी के दक्षिण में हिजबुल्लाह की अधिकतर सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को नष्ट कर दिया है. अब उसने उन इलाकों में भी कार्रवाई शुरू कर दी है, जहां पहले कभी सेना को घुसने की इजाजत नहीं थी. ईरान समर्थित इस आतंकी संगठन ने अब तक लितानी नदी के उत्तर में स्थित अपने ठिकानों को कभी भी सेना के हवाले नहीं किया था.

लेबनानी सेना ने क्यों की कार्रवाई

नवंबर 2023 में इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच हुए संघर्षविराम समझौते के तहत हिजबुल्लाह को लितानी नदी के दक्षिणी हिस्से से तत्काल हटने को कहा गया था. इस समझौते में यह भी तय हुआ था कि लेबनानी सेना दोनों ओर से हिजबुल्लाह के अवैध हथियारों और सैन्य ढांचे को खत्म करेगी. हालांकि लितानी के उत्तर में कार्रवाई के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई थी.

अब रिपोर्ट सामने आई है कि लेबनान सरकार हिजबुल्लाह के साथ उसके हथियारों को स्टेपवाइज तरीके से वापस लेने को लेकर समझौता करने की योजना बना रही है. अमेरिकी दवाब भी इसमें अहम भूमिका निभा रहा है. व्हाइट हाउस की प्रतिनिधि मॉर्गन ऑर्टेगस ने हाल ही में बेरुत दौरे के दौरान लेबनान सरकार से हिजबुल्लाह को पूरी तरह निशस्त्र करने की उम्मीद जताई थी.

क्या है हिज्बुल्लाह की शर्त?

इस बीच हिजबुल्लाह के सांसद हसन फदलल्लाह ने कहा है कि उनका संगठन लेबनान सरकार के साथ राष्ट्रीय रक्षा नीति को लेकर बातचीत को तैयार है, बशर्ते इजराइल अपनी सेना को दक्षिणी लेबनान से पूरी तरह हटा ले. हालांकि इजराइल का कहना है कि पांच अहम पोस्टों पर उनकी सेना की तैनाती सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है. हिजबुल्लाह के हमलों ने हजारों लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर किया था और बड़ी तबाही मचाई थी, लेकिन अब लेबनानी सेना की यह कार्रवाई संगठन के वर्चस्व को सीधी चुनौती देती दिख रही है.

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